Tuesday, October 17, 2017

हौसलेमंद हूँ मैं !





        
हौसलेमंद  हूँ  मैं 

मायूश नहीं हौसलेमंद हूँ मैं,
गिरा कई बार फिर खड़ा हूँ मैं!

पहाड़ों से सिख मिली इरादों को,
नदियों से सीखा हुनर मिल जाने का!

गहराई मुझमें सागरों जितनी,
गंगा सा निर्मल मन हो जाये!

जिस तरह तेज हवाओं को साखों ने सहा,
मैंने भी कई गम सहे कुछ ना कहा!

परेशानियों से समझौता मैं ना करूँगा,
तूफ़ान हो या आंधी सब सहूँगा!

पहले सिर्फ उलझे विचार किये,
अब सिर्फ सच और सच हीं कहूँगा!

हवाएं चलती हैं तेज चलती रहे गम नहीं,
तम्मना मंजिल की है मंजिल से कुछ कम नहीं!

                                      आपका  - प्रकाश

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