Thursday, October 26, 2017

गुज़ारिशें फ़रियाद...


  गुज़ारिशें फ़रियाद...

कुछ मजबूरिया थीं
ना मुँह मोड़ने वाली 
परेशानीयों के साथ...

इरादा तो था कि
चले कुछ और कदम 
तेरे साथ यूँ हीं
तेरी राहे मंज़िल मिल जाने तक...

ऐसा कभी तो हुआ होगा 
मेरे सपनों ने तुझे 
ज़रूर छुआ होगा...

सफर तन्हा हो 
या हो एक साथ 
खुश रहे तू सदा  
हर दिन हर एक रात...

यही है अब रब से
गुज़ारिशें फ़रियाद...

      आपका : प्रकाश ! 

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