ख्वाबे हक़ीक़त
जैसा ख्वाबों में सोचा था कभी ,
हकीकत बनकर सामने है वो अभी !
मेरे ख्वाबों से ख्वाब जोड़ लिए उसने ,
इरादों की नींव पर ईंटें रख दी कई !
कहता है की हिम्मत मत हार अब,
सफ़र बहुत हुआ मक़सद हासिल है अब !
उसे देखता हूँ तो जुनून भर आता है,
नूर में उसके ख़ुदा झलक जाता है !
मित्रों ये पंक्तियाँ किसी ख़ास व्यक्ति को समर्पित है !
आपका : प्रकाश
जैसा ख्वाबों में सोचा था कभी ,
हकीकत बनकर सामने है वो अभी !
मेरे ख्वाबों से ख्वाब जोड़ लिए उसने ,
इरादों की नींव पर ईंटें रख दी कई !
कहता है की हिम्मत मत हार अब,
सफ़र बहुत हुआ मक़सद हासिल है अब !
उसे देखता हूँ तो जुनून भर आता है,
नूर में उसके ख़ुदा झलक जाता है !
मित्रों ये पंक्तियाँ किसी ख़ास व्यक्ति को समर्पित है !
आपका : प्रकाश
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