Tuesday, October 24, 2017

ख्वाबे हक़ीक़त !

         ख्वाबे हक़ीक़त

जैसा ख्वाबों में सोचा था कभी ,
हकीकत बनकर सामने है वो अभी !

मेरे ख्वाबों से ख्वाब जोड़ लिए उसने ,
इरादों की नींव पर ईंटें रख दी कई !

 कहता है की हिम्मत मत हार अब,
सफ़र बहुत हुआ मक़सद हासिल है अब !

उसे देखता हूँ तो जुनून भर आता है,
नूर में उसके ख़ुदा झलक जाता है !



मित्रों ये पंक्तियाँ किसी ख़ास व्यक्ति को समर्पित है !
                                     
                                      आपका :  प्रकाश
    

No comments:

Post a Comment