ब्लॉग "हिंदी साँची " पर आपका स्वागत है ! मुझे अच्छे से याद है जब पहली बार एक व्यंग कविता " चाँद पर पांव " क्षेत्रीय पत्रिका शक्ति - सन्देश में प्रकाशित हुई थी तब मैं महज़ आठवीं कक्षा में पढ़ता था ! जब मेरी कविता प्रकाशित हुई तो मुझे बहुत हर्ष का अनुभव हुआ, परन्तु शिक्षा भी जरुरी थी अब स्वतः कुछ लिखने को मन चाहता है ! परन्तु मेरा मानना है हम जीवन भर मिट्टी के कच्चे घड़े के समान और समाज हमेशा कुम्हार की तरह होता है ,जो हमे ठोक-पीट कर एक सुन्दर आकार देने का प्रयास करता है! अतः आप सभी से अनुरोध है कि कृपया मेरी खामियां बताते रहे ताकि उन्हें मैं सुधार सकूँ! आप Google पर prakashp6692.blogspot.in टाइप करें और मेरी कुछ रचनाओं से रु -बरु हो जाएं! धन्यवाद !
आपका -प्रकाश.

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