जब कभी अब्सार थक जायें..
जब कभी अब्सार थक जायें इंतज़ार में ख़ुशी के,
मायूस विरान सी गलियां गुलज़ार भी होती हैं !
हमेशा यूँ हीं नहीं रहता अँधेरा आसमां पर,
याद रखना हर रात के बाद सुबह भी होती है !
सिर्फ अल्फाजों की जरुरत नहीं सदा सुनने के लिए,
अक्सर ख़ामोशियों में भी आवाजें रवां होती हैं !
गुजरता लम्हा देखता हूँ आईने को रुबरू रखकर,
तसव्वुर कैसे करें ख्वाहिशें फिर भी जवां होती है !
आबो हवा कभी - कभी खिलाफ गर हो तो,
एक दिन सूरज की किरणें बेनक़ाब भी होती हैं !
आपका : प्रकाश !
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