Saturday, February 3, 2018

जब कभी अब्सार थक जायें...!



            जब कभी अब्सार थक जायें..

जब कभी अब्सार थक जायें इंतज़ार में ख़ुशी के,
मायूस विरान सी गलियां गुलज़ार भी होती हैं !

हमेशा यूँ हीं नहीं रहता अँधेरा आसमां पर,
याद रखना हर रात के बाद सुबह भी होती है !

सिर्फ अल्फाजों की जरुरत नहीं सदा सुनने के लिए,
अक्सर ख़ामोशियों में भी आवाजें रवां होती हैं !

गुजरता लम्हा देखता हूँ आईने को रुबरू रखकर,
तसव्वुर कैसे करें ख्वाहिशें  फिर भी जवां होती है !

आबो हवा कभी - कभी खिलाफ गर हो तो,
एक दिन सूरज की किरणें बेनक़ाब भी होती हैं !


     आपका :  प्रकाश !








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