Sunday, December 31, 2017

अलविदा 2017 ! Welcome 2018


*अलविदा 2017*



     मित्रों आने वाले साल को आप कैसे जीते हैं ये 100% आप पर निर्भर करता है ! मैं मानता हूँ कि आने वाले एक साल का एक -एक दिन life के एक -एक पन्ने की तरह है और 1st January 2018 को एक ऐसी बुक open होने वाली है जिसमें 365 pages हैं ! पर ख़ास बात यह है कि इस बुक के writer आप सभी हो और इस book के सभी पन्ने कोरे हैं !
    मित्रों life के हर दिन हर पन्ने को ख़ुशी , जोश, उत्साह, उमंग और सफलता से भर दो ! एक बात मैं आप सबसे साझा करना चाहूंगा कि goal और desire में फर्क होता है ! 85% लोगों के पास goal होता हीं नहीं , उनके पास सिर्फ desire होता है ! जैसे की मेरे पास बड़ा सा घर ! एक सुन्दर सी Car हो ये मात्र सोचना desire है न की goal. कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि सफल लोग goal oriented होते हैं ! आप भी अपना goal set करें और उसे प्राप्त करने के लिए मेहनत करें !


   वर्ष 2017 में आप सभी साथियो ने दिल से प्यार व योगदान दिया। जिसके लिए मैं दिल से आभार व्यक्त करता हूँ। इस बीते हुए साल में संघर्ष के दौरान मेरे द्वारा भी मेरे कर्म व वाणी से यदि आपके दिल को कष्ट पहुँचा हो तो उसके लिए क्षमा चाहता हूँ।
उम्मीद करता हूँ कि आने वाला नव वर्ष 2018  आप सभी के लिए ढेर सारी खुशिया लेकर आये ।
धन्यवाद !
आपका
*प्रकाश  *
♥♥ कल आपको बधाई देने वालों की कतार लगी होगी /
हो सकता है उस भीड़ में हमारी शुभकामनाये आप न पढ़ पाये इसलिए आज हमारी तरफ़ से आपको व आपके परिवार को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌷🌷

💐💐happy new year 2018 💐💐

             आपका: प्रकाश

Sunday, December 24, 2017

Merry Christmas




मित्रों Christmas... की आपको बहुत -बहुत बधाई एवं शुभकामनायें  !
प्रभु यीशु के जन्मदिन के मौके पर आज भारत समेत पूरी दुनिया में क्रिसमस पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। 24 दिसम्बर रात से ही ‘हैप्पी क्रिसमस-मेरी क्रिसमस’ से बधाइयों का सिलसिला जारी हो जाता है। देश के सभी शहरों में लोगों के घर ‘क्रिसमस ट्री’ सजाया जाता है, तो सांता दूसरों को उपहार देकर जीवन में देने का सुख हासिल करने का संदेश देता है। मगर क्या आप जानते हैं क्रिसमस 25 को ही क्यों मनाया जाता है। 




25 December को  क्यों मनाया जाता है क्रिसमस
क्रिसमस का आरंभ करीबन चौथी सदी में हुआ था। इससे पहले प्रभु यीशु के अनुयायी उनके जन्म दिवस को त्योहार के रूप में नहीं मनाते थे। 


यीशु के पैदा होने और मरने के सैकड़ों साल बाद जाकर कहीं लोगों ने 25 दिसम्बर को उनका जन्मदिन मनाना शुरू किया। मगर इस तारीख को यीशु का जन्म नहीं हुआ था क्यूंकि सबूत दिखाते हैं कि वह अक्टूबर में पैदा हुए थे। दिसम्बर में नहीं। 
ईसाई होने का दावा करने वाले कुछ लोगों ने बाद में जाकर इस दिन को चुना था क्योंकि इस दिन रोम के गैर ईसाई लोग अजेय सूर्य का जन्मदिन मनाते थे और ईसाई चाहते थे की यीशु का जन्मदिन भी इसी दिन मनाया जाए। 

आपका:  प्रकाश !

Wednesday, December 20, 2017

मुश्किल काम थोड़ा समय लेते हैं ...



मित्रों किसी ने सच हीं कहा है :



मुश्किल काम थोड़ा समय लेते हैं ...!
और असंभव काम थोड़ा और ज्यादा समय लेते हैं ...!



अतः जब किसी कार्य को जब आप सिद्ध करने में लगे हों और
वह काम आपको यदि कठिन लगे और उसे पूरा करने में आपको वक़्त ज्यादा लगे तो कृपया इन पंक्तिओं का समरण जरूर करें इसे आपको साहस जरूर मिलेगा ...!

 

Prakashp6692.blogspot.in
Hindisanchi.blogspot.in

Wednesday, December 6, 2017

Kimat 1 rupye ki (कीमत 1 रूपये की..)

 कीमत 1 रूपये की...

कई लोगों के जीवन में कई अलग - अलग अनुभव होते हैं. मेरे भी जीवन में कुछ ऐसे अनुभव हुए हैं जिनको भूल जाना हीं बेहतर है परन्तु ..कभी- कभी ये बातें अक्सर तन्हाई में याद आ हीं जाती है ! तो क्या अकेले सोच कर याद कर बर्दास्त कर लूं या फिर आप सभी से साझा कर लूं !
क्यूंकि मैं एक प्रसिद्ध हस्ती नहीं एक आम इंसान हूँ ..यदि मैंने आप सभी को अपना दोस्त समझ कर अपनी कुछ बातें साझा कर भी लीं तो क्या मेरी छवि धूमिल हो जाएगी ...मैं समझता हूँ ...नहीं ! तो मित्रों आइये एक छोटी सी घटना मैं आपसे साझा कर हीं लेता हूँ !
बात तब की है जब मैंने अी शिक्षा दीक्षा पूरी कर अपने सपनों का पीछा करता हुआ 2004 में दिल्ली पंहुचा ! मित्रों मैं अपने ट्रेड से सम्बंधित हीं जॉब चाहता था कंप्यूटर साइंस से बी.ई. करने के बाद जाहिर सी बात है आई .टी. सेक्टर में हीं प्रयास करना था ! परन्तु आपको मैं सच कहता हूँ मित्रों ,भले हीं मैंने कंप्यूटर साइंस से अभियांत्रिकी की शिक्षा प्राप्त की है परन्तु मैं अपने चार वर्षों में कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज पर बहुत अच्छी स्किल विकसित नही कर सका जैसा की मेरे साथ कुछ सहपाठियों ने विकसित किया ! शायद कुछ कहीं कमी मुझसे हीं हो गयी ! परन्तु मित्रों मैं इतनी जल्दी हार मानने वालों में से नहीं ! क्यूंकि मैं मानता हूँ आज कल के इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में मात्र शिक्षा प्राप्त कर लेने से हीं व्यक्ति को सफलता का प्रमाण पत्र नहीं प्रा्त हो जाता , शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी कई इम्तिान से गुजरना पड़ता है ! मैं भी गुजरा ...पहले मैं सरकारी नौकरी को अच्छा नहीं  समझता था और न हीं ज्यादा तवज्जो देता था !अतः मैं किसी अच्छी MNC में जॉब प्रा्त कर सकूँ ..बहुत कोशिश की ! एक दिन में 2 से 3 इंटरव्यू देना मेरे लिए आम बात हो गयी थी ! बस एक हीं धुन सर पर सवार थी की जल्दी से जल्दी मैं एक जॉब ले लूँ ! उस जॉब सर्च के दौरान हर महीने का खर्चा मेरे पिता जी के द्वारा हीं वहन किया जाता था ! अतः मुझे हर महीने लगभग ₹4000 या ₹ 5000 पिता जी बैंक के खाते में जमा  कर दिया करते थे ! जिसमें रूम का किराया और अपने खाने पीने का खर्चा शामिल था ! मेरे अतिरिक्त मेरे साथ दो मित्र और रहते थे ! एक का नाम भूपेंद्र सिंह और एक का नाम वरुण श्रीवास्तव था !भूपेंद्र को हम लोग प्यार से भूप्पी कहा करते थे ! भूपेंद्र ने मैकेनिकल और वरुण ने आईटी से अभियांत्रिकी की शिक्षा पूरी की थी !
उन दौरान हम दिल्ली के लक्ष्मीनगर के गली नंबर 10 में बंसल  जी के माकन में रहा करते थे और अपने - अपने भविष्य को सवारने मैं लगे हुए थे ! मुझे जहाँ तक याद है की जून महीेने का आखरी हफ्ता चल रहा था , महीना खत्म नहीं हुआ था ...पैसे लगभग ख़त्म हो गए थे ! अंतर्मुखी स्वभाव का होने के कारण मैं सुबह निकलते हुए भूप्पी से कह भी नहीं पाया की भाई मेरे पास पैसे आज उतने हीं बचे हैं जितने में मैं डी . टी. सी. बस से आने और जाने का किराया हीं दे पाउँगा ! हर रोज इस उम्मीद से इंटरव्यू के लिए निकलता था की बस आज तो पक्का समझो !पर ऐसा होता कहाँ था ...! उस दिन आप मान लें की मुश्किल मेरी जेब में 40 रूपये होंगे  ! उस वक़्त दिल्ली में मेट्रो नहीं चलती थी ! लक्ष्मीनगर रेड लाइट चौराहे से मैंने डी. टी. सी. बस पकड़ ली और टाइम्स ऑफ़ इंडिया के जॉब क्लासिफाइड के माध्यम से एक दो इंटरव्यू दे चूका था ! दोंनो इंटरव्यू में कहा गया If you got selected we will call you later...!                                                             लगभग दोपहर के 2 बजे होंगे , मैं करोल बाग के पास डी टी सी बस पकड़ने के लिए बस स्टॉप पर खड़ा था ! गर्मी बहुत भयंकर थी और सूर्य देवता आग उगले जा रहे थे ! मेरे जेब में मात्र 10 रूपये बचे थे और मुझे लक्ष्मीनगर भी पहुँचना था ! मैं ऊ.प्र. के एक छोटी सी जगह शक्तिनगर से हूँ ! मेरा जन्म और परवरिश मध्यम-वर्गीय परिवार में हुआ है ! मैं ये सब अचानक इसलिए बता रहा हूँ ! क्यूंकि तपतपाती गर्मी में अगर आप मेरी छोटी सी जगह के लोगों से पानी मांगे तो बड़े प्यार से लोग पीला देंगे , चाहे वो लोग पारिवारिक हों या व्यवसाई ! अपनी बात पर वापिस आता हूँ ...मुझे बहुत प्यास लग रही थी ...गाला प्यास के मारे सूखा जा रहा था , बस स्टॉप के पास एक पानी बेचने वाला जो साइकिल से जुड़ी हुई तीन पहियों वाली ट्रॉली लिए हुए था !उस वक़्त ये ज्यादातर 1 रूपये प्रति ग्लास पानी पिलाया करते थे और नींबू पानी 5 रूपये का ! अगर मैं  पैसे दे कर पानी पी लेता तब वापिस बस से जाने का किराया पूरा नहीं बचता..मैं पानी बेचने वाले को दूर से काफी देर तक देखता रहा ! तब कहीं हिम्मत जुटा कर उसके पास गया और कहा  ...भाई एक ग्लास पानी पीला दो आज तो 1रूपये नहीं दे पाउँगा पर अगर कल परसों में अगर इधर से गुजरूँगा तो 1 रूपये की बजाये तुम्हे 5 या 10 रूपये दे दूंगा ! पानी वाले ने मना कर दिया ! मैंने उसको कहा भी की भाई अगर मैंने तुम्हे पैसे दे भी दिए तो बस कंडक्टर को पूरे पैसे नहीं दे पाउँगा ! फिर भी उसने मना कर दिया ! मुझे बहुत बुरा महसूस हुआ और मैं बस स्टॉप पर लगी कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा ..! एक रूपये को कमाने के लिए लोग कभी - कभी मानवता भी भूल जाते हैं !अगर पानी वाले ने मुझे ना नहीं कहा होता तो शायद मुझे 1रूपये की कीमत का पता जिंदगी भर नहीं चलता ..ध्यानवाद उसका !                                         उस दिन मुझे पता चला की मैंने जब भी कभी पढाई या तैयारी के दौरान मैंने माता - पिता से कहा की मुझे 5 हजार या 10 हजार की जरुरत है तो अगले हीं दिन मेरे खाते में वो जमा कर देते थे ! पर पिता जी कितनी मेहनत से वो पैसे कमाते होंगे ...उस वक़्त आभास हो गया ! एक रूपये की कीमत क्या होती है उस गर्मी की प्यास ने मुझे समझा दिया ! मित्रों मैं आपसे इतना हीं कहना चाहूंगा की माता पिता कभी भी अपने बच्चों को गलत सलाह नहीं देते ! यदि आप अध्ययनरत हैं तो कृपया अपने माता पिता की सलाह को सकारात्मक रूप से स्वीकार करते हुए आगे बढ़े ! मित्रों मैं आज अपने पैरों पर खड़ा हो पाया हूँ... तो निःसंदेह कहीं न कहीं मेरी मेहनत के बदौलत परन्तु मेरे माता - पिता का आशीर्वाद मेरे साथ नहीं होता तो शायद यहाँ तक का सफर भी मुझसे नहीं तय होता ! अतः आपसे अनुरोध है माता- पिता का कभी दिल न दुखाये और जिनकी वजह से आपका वजूद दुनिया में है ..कम से कम उनको सम्मान दें ! आपने  इतने
धीरज के साथ मुझे पढ़ा उसके लिए कोटि- कोटि धन्यवाद !
कृपया अपने विचार कमेंट में देना न भूले की आपको ये छोटी सी घटना कैसी लगी!                                                             आपका :प्रकाश