मित्रों नमस्कार ,
आशा करता हूँ आप सब कुशल पूर्वक होंगे.. मैंने यह स्वयं आभास किया है कि जब भी हम असफलता का स्वाद चखते हैं , और अंतर्मन से दुखी होते हैं .. कई बार हमारे महापुरुषों की जीवनी या उनके द्वारा कहे गए कथनों को स्मरण करने मात्र से मन को काफी बल मिलता है ! ..
अतः प्रस्तुत है ... महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा कहे गए QUOTES ...
Indian nationalist leader Subhadh Chandra Bose and Adolf Hitler , Berlin ,Germany ....
1897- 1945 Politiker, indienVorsitzender
Participants of the Greater East Asia Conference ...
असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं..
तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा..
मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी,
परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही...
हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो,
हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक हो,
फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है..
सफलता का दिन दूर हो सकता है, पर उसका आना अनिवार्य है....
मेरे मन में कोई संदेह नहीं है,
कि हमारे देश की प्रमुख समस्यायों
जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारी , कुशल उत्पादन एवं वितरण का समाधान,
सिर्फ समाजवादी तरीके से ही की जा सकती है ....
आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए,
मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके..
एक शहीद की मौत मरने की इच्छा,
ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके...
ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं.
हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी,
हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए...
मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता.
संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं,
वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा
मुझे यह नहीं मालूम की,
स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन कौन जीवित बचेंगे.
परन्तु में यह जानता हूँ, अंत में विजय हमारी ही होगी.
संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया,
मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था....
कष्टों का निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है...
यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े,
तब वीरों की भांति झुकना..
स्रोत : इंटरनेट !
जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारी , कुशल उत्पादन एवं वितरण का समाधान,
सिर्फ समाजवादी तरीके से ही की जा सकती है ....
आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए,
मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके..
एक शहीद की मौत मरने की इच्छा,
ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके...
ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं.
हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी,
हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए...
मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता.
संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं,
वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा
मुझे यह नहीं मालूम की,
स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन कौन जीवित बचेंगे.
परन्तु में यह जानता हूँ, अंत में विजय हमारी ही होगी.
संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया,
मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था....
कष्टों का निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है...
यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े,
तब वीरों की भांति झुकना..
स्रोत : इंटरनेट !
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